लियोनिद रोगोज़ोव का नाम चिकित्सा के इतिहास में अद्वितीय बहादुरी और साहस के प्रतीक के रूप में दर्ज है। वे एक सोवियत सर्जन थे, जिन्होंने एक असाधारण घटना के दौरान अपनी जान बचाई और चिकित्सा के क्षेत्र में मिसाल कायम की। आइए जानते हैं उनके जीवन और अद्वितीय उपलब्धि के बारे में विस्तार से।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
लियोनिद रोगोज़ोव का जन्म 14 मार्च 1934 को पूर्वी साइबेरिया के छोटे से गांव डाकुन्का में हुआ था। उन्होंने अपनी चिकित्सा शिक्षा सेंट पीटर्सबर्ग (तत्कालीन लेनिनग्राद) में स्थित लेनिनग्राद पेडियाट्रिक मेडिकल इंस्टीट्यूट से प्राप्त की। रोगोज़ोव ने 1959 में अपनी चिकित्सा की पढ़ाई पूरी की और सर्जन बने।
अंटार्कटिका अभियान
1960 में, रोगोज़ोव को सोवियत अंटार्कटिका अभियान में चिकित्सक के रूप में शामिल किया गया। इस अभियान का उद्देश्य अंटार्कटिका में सोवियत अनुसंधान स्टेशन की स्थापना करना था। उन्हें 12 अन्य साथियों के साथ नोवोलाजरेव्स्काया स्टेशन पर तैनात किया गया था।
अद्वितीय सर्जरी
1961 में, रोगोज़ोव को अचानक पेट में तेज दर्द महसूस हुआ। उन्होंने खुद की जांच की और पाया कि उन्हें अपेंडिसाइटिस है। यह स्थिति खतरनाक हो सकती थी और उनके पास कोई अन्य सर्जन नहीं था जो ऑपरेशन कर सके। इस स्थिति में, उन्होंने स्वयं अपनी सर्जरी करने का फैसला किया।
आत्म-सर्जरी की प्रक्रिया
30 अप्रैल 1961 को, लियोनिद रोगोज़ोव ने खुद पर अपेंडिक्स सर्जरी की। उन्होंने एक स्थानीय एनेस्थेटिक का उपयोग किया और दो सहयोगियों की मदद से ऑपरेशन किया। इस सर्जरी में उन्होंने अपने पेट में चीरा लगाया, अपेंडिक्स को हटाया, और फिर घाव को बंद कर दिया। यह सर्जरी लगभग दो घंटे चली और सफल रही। कुछ दिनों बाद, रोगोज़ोव पूरी तरह से स्वस्थ हो गए।
महत्वपूर्ण योगदान
रोगोज़ोव की इस बहादुरीपूर्ण घटना ने चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और साहस का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी इस अद्वितीय सर्जरी की कहानी ने दुनिया भर में चिकित्सा जगत को प्रेरित किया और यह दिखाया कि किसी भी विपरीत परिस्थिति में भी मनुष्य अद्वितीय साहस और धैर्य के साथ सामना कर सकता है।